एक व्यक्ति के जीवन में या उसके किसी काम (business) में सफलता प्राप्त करने के लिए उस मनुष्य को लगातार (positive)
सोचना होगा । वह व्यक्ति खुद को उस क्षेत्र में ले जाये जहाँ पर ढेर सारी मुश्किलें हो । और जहाँ उस व्यक्ति के इच्छा अनुसार कोई कार्य नही हो रहा हो ।
हम में से ज्यादा लोग 1-2 बार असफल होने के बाद निराश हो जाते हैं या हार मान लेते हैं उन्हें लगता है कि ऐसा केवल उन्हीं लोगो के साथ होता है। लेकिन हमें ये समझाना चाहिए की सफलता तक पहुचने का रास्ता हमेशा असफलता के मार्ग से होकर गुजरता है दुनिया में कोई भी व्यक्ति ऐसा नही होगा जो अपने पूरी जीवन में असफल न हुआ हो।
अगर ऐसा नही है तो कुछ सफल व्यक्ति के असफलता की कहानियां को पढ़ के जरूर देखें।
सोचना होगा । वह व्यक्ति खुद को उस क्षेत्र में ले जाये जहाँ पर ढेर सारी मुश्किलें हो । और जहाँ उस व्यक्ति के इच्छा अनुसार कोई कार्य नही हो रहा हो ।
हम में से ज्यादा लोग 1-2 बार असफल होने के बाद निराश हो जाते हैं या हार मान लेते हैं उन्हें लगता है कि ऐसा केवल उन्हीं लोगो के साथ होता है। लेकिन हमें ये समझाना चाहिए की सफलता तक पहुचने का रास्ता हमेशा असफलता के मार्ग से होकर गुजरता है दुनिया में कोई भी व्यक्ति ऐसा नही होगा जो अपने पूरी जीवन में असफल न हुआ हो।
अगर ऐसा नही है तो कुछ सफल व्यक्ति के असफलता की कहानियां को पढ़ के जरूर देखें।
क्यों डरे जिंदगी में क्या होगा? हर समय क्यों सोचें कि बुरा होगा
बढ़ते चले मंजिलों की ओर हम, कुछ भी न मिला तो क्या
तजुर्बा तो नया होगा ।
बढ़ते चले मंजिलों की ओर हम, कुछ भी न मिला तो क्या
तजुर्बा तो नया होगा ।
मिल्खा सिंह (फ्लाइंग सिख)
मिल्खा सिंह का जन्म पकिस्तान के लायलपुर में 8 अक्टूबर 1935 में हुआ था उनका माता-पिता का निधन पाक विभाजन के समय हुए दंगे में हो गया। तब उनका का पालन -पोषण उनके बड़े भाई बहन ने किया इनका नाम तब सुनने में आया जब उन्होंने कटक में हुए राष्ट्रीय खेलो में 200 और 400 की दौड़ में रिकॉर्ड तोड़ दिया ।
इन्होंने कई रिकॉर्ड और पदक अपने नाम किया । इनके इसी विभिन्न successes के लिए 1958 में भारत सरकार द्वारा उन्हें "पद्मश्री" से सम्मानित किया गया। इनका नाम "फ्लाइंग सिख" पड़ने के पीछे भी कुछ reason है । जब वह भारत -पाक प्रतियोगिता में दौड़ रहे थे और उन्होंने पाकिस्तान के जाने माने धावक अब्दुल खालिक को 200 मिटर भागते हुए उसे तेजी से हरा दिए । तब वह पर मौजद लोगो ने कहा कि मिल्खा सिंह दौड़ नही रहे, उड़ रहे हैं तभी से उनका नाम मिल्खा सिंह पड गया ।
उपलब्धियां
(१) 1957 में मिल्खा सिंह ने 400 मिटर की दौड़ को सिर्फ 47.5 सेकंड कर नया रिकॉर्ड बनाया
(२) 1962 में एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने स्वर्ण पदक जीता
मिल्खा सिंह का जन्म पकिस्तान के लायलपुर में 8 अक्टूबर 1935 में हुआ था उनका माता-पिता का निधन पाक विभाजन के समय हुए दंगे में हो गया। तब उनका का पालन -पोषण उनके बड़े भाई बहन ने किया इनका नाम तब सुनने में आया जब उन्होंने कटक में हुए राष्ट्रीय खेलो में 200 और 400 की दौड़ में रिकॉर्ड तोड़ दिया ।
इन्होंने कई रिकॉर्ड और पदक अपने नाम किया । इनके इसी विभिन्न successes के लिए 1958 में भारत सरकार द्वारा उन्हें "पद्मश्री" से सम्मानित किया गया। इनका नाम "फ्लाइंग सिख" पड़ने के पीछे भी कुछ reason है । जब वह भारत -पाक प्रतियोगिता में दौड़ रहे थे और उन्होंने पाकिस्तान के जाने माने धावक अब्दुल खालिक को 200 मिटर भागते हुए उसे तेजी से हरा दिए । तब वह पर मौजद लोगो ने कहा कि मिल्खा सिंह दौड़ नही रहे, उड़ रहे हैं तभी से उनका नाम मिल्खा सिंह पड गया ।
उपलब्धियां
(१) 1957 में मिल्खा सिंह ने 400 मिटर की दौड़ को सिर्फ 47.5 सेकंड कर नया रिकॉर्ड बनाया
(२) 1962 में एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने स्वर्ण पदक जीता
आप अपना भविष्य नही बदल सकते पर आप अपनी आदतें बदल सकते हैं, और निश्चित रूप से आपकी आदतें आपका भविष्य बदल सकती हैं।
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धन्यवाद।
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Very nice post
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