कोरोना और शिक्षक का संवाद
कोरोना बोला शिक्षक से , अब स्कूल को कैसे जाओगे ।
हर तरफ मेरा ही राज , बच्चों को कैसे पढ़ाओगे ।।
बीत चुका वो साल पुराना , अब तो मैं भी हुआ सयाना ।
हवा देश की रास आ गई , गले में जैसे फाँस आ गई ।।
अब बच्चों को कैसे तुम स्कूल में लेकर आओगे । उत्सव तो वीरान हुए , ज्ञानोत्सव कैसे मनाओगे ।।
काम तो तुमने बहुत किये , बच्चों का मन बहलाने को ।
नित्य नए TLM बनाये , रोचकता से पढ़ाने को ।।
बेसलाइन तो करवाया , एन्डलाइन कैसे करवाओगे । मिशन प्रेरणा खूब रटा , पर लक्ष्य को कैसे पाओगे ।।
सुन बातें फिर कोरोना की , शिक्षक का अंतर्मन डोला । कुछ सोचा और विचार किया , फिर कोरोना से वह बोला ।।
मत कर तू घमण्ड इतना , जो आया उसको जाना है । मृत्यु तो कटु सत्य है , तू उसका एक बहाना है ।।
माना समय कठिन बड़ा है , शिक्षा के परिवेश में । फिर से पैर पसारे तुमने , चुपके से इस देश में ।।
शिक्षक ही नहीं , सब मिलकर पहले देश बचाएंगे । सुरक्षित होंगे जब बच्चे , तब लक्ष्य को भी पाएंगे ।।
टेक्नोलॉजी के इस युग में ऑनलाइन पढ़ाई करवाएंगे । E पाठशाला , रेडियो , टी.वी. से बच्चे ज्ञान बढ़ाएंगे ।।
सैनिटाइजर और मास्क के साथ कोविड वैक्सीन लगवाएंगे । हमने अब मिलकर ठाना है , तुमको चायना पहुंचाएंगे ।।
Sahi Hai Corona Ko Bhagana Hai
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